मंगलवार, 18 अगस्त 2009

केंद्रीकृत बैंकिंग सेवा

केंद्रीकृत बैंकिंग सेवा (CORE BANKING SOLUTIONS)

विकासशील अर्थव्यवस्था एंव सुढृढ बैंकिंग सेवा दोनों का आपस में गहरा संबंध है. विगत दशकों में देश में हुई तेज सामाजिक, आर्थिक एंव शैक्षणिक प्रगति से बैंकिंग सेवा के प्रति ग्राहकों के रुझान में जर्बदस्त बदलाव आया है. देश में युवाओं की बढ़ती आबादी ने भी बैंकों को अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाने को प्रेरित किया है. सूचना क्रांति के विस्फोट से बैंकिंग सेवा में क्रांतिकारी परिवर्तन आए है. बदलते समय ने भी बैंकों को ग्राहको के अपेक्षाओं के अनुरुप ढ़लना सिखाया है. उपरोक्त कारकों से बैंकिंग सेवा पहले की अपेक्षा ज्यादा ग्राहकोन्मुखी हुई है. लेकिन उपरोक्त सभी में सबसे ज्यादा परिवर्तन बैंकिंग सेवा में केन्दीकृत बैंकिंग सेवा (Core Banking Solutions) ने लाया है.
यदि वैश्वीकरण ने पूरे विश्व को एक विश्वग्राम के रुप में बदलकर रख दिया है तो सी.बी.एस. यानि कोर बैंकिंग सेवा ने सारे बैंकों को एक वृह्त परिवार का हिस्सा बना दिया है. इस सुविधा ने बैंकों को ग्राह्कों के और ज्यादा करीब ला दिया है. कोर बैंकिंग में आप किसी एक शाखा के ग्राहक न रह्कर पूरे बैंक के ग्राह्क बन जाते है. या, यूँ कहे कि आप लघु परिवार से वृह्त परिवार का हिस्सा बन जाते है. सी.बी.एस. ने बैंकिंग क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है. इस प्रणाली में बैंक की विभिन्न शाखाओं को एक नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा जाता है. ताकि, ग्राहकों को बैंक की सी.बी.एस. द्वारा जुड़ी शाखाओं से लेनदेन करने की सुविधा मिल सके.
कोर बैंकिंग में नेटवर्क द्वारा जूड़े विभिन्न शाखाओं की ग्राहक संबंधी सूचनाएं बैंक की अन्य सी.बी.एस शाखाओं पर भी उपलब्ध हो जाती है. जिसके द्वारा बैंक अपने ग्राहकों को नेट्वर्क द्वारा जुड़े किसी भी शाखा पर बैंकिंग सेवा प्रदान करते है. ग्राहकोन्मुखी परिवेश होने के कारण व्यावसायिक गतिविधियों से जूड़े ग्राहक इस सुविधा से सबसे ज्यादा लाभान्वित हो रहे है. इस सुविधा की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें ग्राहकों को नेटवर्क द्वारा जूड़े ए.टी.एम. से बैंकिंग सेवा (24x7x365) किसी भी समय तथा किसी भी स्थान पर उपलब्ध कराई जा सकती है.—
टेली बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, ई.एफ.टी, आर. टी. जी. एस. जैसी नवीनतम सेवाएं इसी व्यवस्था की देन है. इन नवीनतम सेवाओं ने बैंकिंग व्यवस्था में आमूल-चूल बदलाव लाया है. इंटरनेट बैंकिंग ने तो कई सेवाओं को आसान बना दिया है. घर बैठे रेल टिकट बनवाना, बीमा प्रीमियम जमा करना, मोबाइल बिल जमा करना जैसी कई अन्य सेवाएं कोर बैंकिग की ही देन है.
आज सी.बी.एस. व्यवस्था ने बैंकिंग सेवा को एक ह्द तक पेपरलेस बैंकिंग में बदल दिया है. ई.एफ.टी. अर्थात इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर से आप कुछ ही क्षणों में अपनी राशियों का अंतरण देश-विदेश की किसी भी शाखा में कर सकते है. आर. टी. जी. एस. अर्थात रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट के अंतर्गत विभिन्न वाणिज्यिक बैंकों के बीच हुए करार के तहत दो भिन्न-भिन्न बैंकों की भिन्न-भिन्न शाखाओं के खातों में निधियों का अंतरण इलेक्ट्रानिक रुप में त्वरित रुप से किया जा सकता है. इसके द्वारा अब ग्राहक किसी भी स्थान पर स्थित किसी भी सदस्य बैंक की सी.बी.एस. शाखा के खातों में /से निधियों का अंतरण अविंलब करा सकते है.
रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया के निर्देशानुसार आगामी 1 अप्रैल से आप किसी भी बैंक के एटीएम का प्रयोग अपने डेबिट कार्ड से नि:शुल्क कर सकेंगें. इस नई पहल से देश की बैंकिंग व्यवस्था जल्दी ही दूसरे चरण में प्रवेश करेगी. इस नई व्यवस्था में व्यावहारिक रुप से सभी बैंकों के एटीएम नेट्वर्क को एक ही सेंटर से जोड़ दिया जाएगा तथा यह नेट्वर्किग नेशनल फाइनेंशियल स्विच कहलाएगी. रिर्जव बैंक की यह नई पहल पूर्णत: सी.बी.एस पर निर्भर होगी. इसके पूर्व हमारे बैंक एंव मित्र बैंकिंग नेटवर्क में फाइनेंशियल स्विच के तहत एक समझौता हुआ था. वह भी सी.बी.एस की ही देन थी. इस प्रकार, हम देख सकते है कि इस सुविधा ने बैंकिंग सेवा में कितना बदलाव लाया है.
यदि बैंकों को 21 वीं शती के अनुरुप बनाना है तो सी.बी.एस सुविधा को और ज्यादा अनुकूल बनाना होगा. आज बैंकिंग को उधोग का दर्जा प्राप्त है. लेकिन आने वाले दशकों में नवीनतम टेक्नोलॉजी को अपनाकर बैंक स्वंय में एक प्रोधोगिकी के रुप में कार्य करेंगें. विगत कुछ वर्षो में बैंक की शाखाओं में पहले की अपेक्षा ग्राह्को की संख्या में कमी दर्ज की गई है. आज लोग बड़े ही नहीं बल्कि छोटे शहरों में भी " टेली बैंकिग- अर्थात टेलीफोन द्वारा बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना" तथा " होम बैंकिंग- अर्थात आपके घर या कार्यस्थल पर जाकर बैंकिग सेवाएं प्रदान करना" इत्यादि पर ज्यादा निर्भर हो गए है. इन सुविधाओं को हम सी.बी.एस सुविधा के व्यापक उपयोग द्वारा और-ज्यादा कारगर बना सकते है.
भविष्य की संकल्पनाओं के अनुसार बैंकिग सेवाएं हर गली-कूचे में उसी तरह मिलेंगी जैसे पब्लिक टेलीफोन बूथ या जगह-जगह पर चाय की दुकानें स्थित हो. जिसे बैंक किसी एक स्थान से नियंत्रित करेंगें. भविष्य में यह संकल्पना भी सी.बी.एस के द्वारा संभव हो जाएगी. आने वाले समय में बैंकिंग संबंधी प्रौधोगिकी इतनी विकसित हो जाएगी कि आप अपने वाहन में बैठे-बैठे अपना चैक भुना सकेंगें अथवा रुपए जमा करवा सकेंगें. यह ड्राइव इन बैंकिग सी. बी. एस. सुविधा के विस्तार से और ज्यादा विस्तारित होगी.
आज बैंकिग सेवा के मायने बदल गये है. बैंक अब पंरपरागत बैंकिंग से ऊपर अन्य दायित्वों को भी निभा रहे है. व्यापारी बैंकिंग सेवाएं, मुद्रा बाजार से जुड़े कार्य, जमानती कार्य (जैसे गांरटी देना), परामर्शी कार्य, विदेशी विनिमय, अल्पकालिक निधि संग्रहण व प्रंबंध, प्रतिभूतिकरण, क्रेडिट कार्ड, पर्सनल बैंकिंग जैसे सैकड़ो कार्य आज बैंक कर रहे है. इन कार्यो का त्वरित निष्पादन भी सी.बी.एस के द्वारा ही संभव है.
बैंकिंग क्षेत्र यदि कस्टमर डिलाइट की अवधारणा को वास्तव में लागू करना चाहते है तो उन्हें सी.बी.एस. सेवा को और ज्यादा ग्राहकोंनुकूल बनाना होगा. सी.बी.एस के माध्यम से बैंक अपने नए उत्पादों का प्रचार भी कर सकते है. आज कुछ बैंक तो अपने उत्पादों के अलावा अन्य कंपनियों के उत्पादों का प्रचार भी कर रहे हैं. देश की अधिकांश आबादी युवा है तथा युवा वर्ग तकनीक को ज्यादा पसंद करता है. यदि बैंकों को अपनी ओर इन युवाओं को आकर्षित करना है तो इस सुविधा को सही रुप में लागू करना होगा. ग्राहक-आधार बढ़ाने में भी यह सुविधा लाभदायक है.
इस प्रकार, सी.बी.एस से बैंकिंग सेवा में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं. इस सुविधा के कारण बैंक ग्राहकों के और ज्यादा समीप आए है. परंतु, यह भी सच है कि यह सुविधा आम आदमी के अनुकूल अभी नहीं बनी है. यदि बैंकिंग सेवा को इस प्रतिस्पर्धी-दर में अपने को टिकाए रखना है तो इस सुविधा को उन्हें और-ज्यादा आम आदमी के लायक बनाना होगा. बैंकिंग क्षेत्र की नई शब्दावली ट्रिपल AAA बैकिंग (Anytime, Anywhere & Anyhow) को भी सी.बी.एस के प्रयोग द्वारा ज्यादा सार्थक बना सकते है.